परिचय:
भारत सरकार ने श्रम सुधारों के तहत चार नए लेबर कोड (New Labour Codes in India) लागू करने की घोषणा की है, जिससे पूरे देश के कर्मचारियों और नियोक्ताओं पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। इन नए कोड्स का उद्देश्य श्रम कानूनों को सरल बनाना, समानता सुनिश्चित करना और रोजगार की स्थिति को अधिक पारदर्शी और लाभकारी बनाना है।
यह ब्लॉग नए लेबर कोड 2025 की प्रमुख विशेषताओं, प्रभावों और तैयारियों को समझाने के लिए है।
चार प्रमुख नए लेबर कोड (New Labour Codes 2025)
भारत सरकार ने 29 पुराने श्रम कानूनों को मिलाकर 4 श्रम संहिताएं (Labour Codes) बनाई हैं:
- Code on Wages, 2019 (वेतन संहिता):
- न्यूनतम वेतन (Minimum Wages) अब सभी क्षेत्रों के लिए लागू।
- समान कार्य के लिए समान वेतन सुनिश्चित किया गया है।
- वेतन भुगतान की समय-सीमा तय की गई है।
- Industrial Relations Code, 2020 (औद्योगिक संबंध संहिता):
- स्ट्राइक या हड़ताल के लिए नोटिस अवधि अनिवार्य की गई।
- कंपनियों को ले-ऑफ/रिट्रेंचमेंट के लिए सरकार से पूर्व अनुमति की सीमा बदली गई है।
- Occupational Safety, Health and Working Conditions Code, 2020 (OSH कोड):
- महिला कर्मचारियों को रात्रिकालीन शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी गई है (कुछ शर्तों के साथ)।
- स्वास्थ्य और सुरक्षा मानकों को सख्ती से लागू किया गया है।
- Social Security Code, 2020 (सामाजिक सुरक्षा संहिता):
- ईएसआईसी (ESIC), ईपीएफओ (EPFO), गिग और प्लेटफॉर्म वर्कर्स को भी कवर किया गया है।
- सभी कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा के अंतर्गत लाया गया है।
नए लेबर कोड का कर्मचारियों पर प्रभाव
- वर्किंग आवर्स:
4 दिन का कार्य सप्ताह (48 घंटे प्रति सप्ताह की शर्त के साथ) संभव है। - छुट्टियां और ओवरटाइम:
सालाना अर्जित छुट्टियों में बदलाव किया जा सकता है। ओवरटाइम सीमा 125 घंटे प्रति तिमाही। - पीएफ योगदान:
बेसिक वेतन बढ़ने से PF योगदान भी बढ़ेगा, जिससे रिटायरमेंट फंड मजबूत होगा। - ग्रेच्युटी पात्रता:
कांट्रैक्ट वर्कर्स को भी ग्रेच्युटी का लाभ मिलने की संभावना है, अगर वे 1 वर्ष तक सेवा में रहें।
नए लेबर कोड का नियोक्ताओं पर प्रभाव
- कानूनी अनुपालन का सरलीकरण:
सभी कानूनों को डिजिटल मोड में लागू करने की दिशा में सरकार बढ़ रही है। - रिकॉर्ड मेन्टेनेन्स और रजिस्टर:
सभी रजिस्टर अब एकीकृत रूप से इलेक्ट्रॉनिक फॉर्म में रखना होगा। - सैलरी स्ट्रक्चर में बदलाव:
बेसिक वेतन 50% से कम नहीं होना चाहिए, इससे कंपनियों को CTC फिर से तय करना पड़ेगा।
नई लेबर कोड्स के कार्यान्वयन की स्थिति 2025
हालांकि सभी चार कोड पारित हो चुके हैं, 2025 में उनके कार्यान्वयन की संभावना बढ़ गई है, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारें अंतिम अधिसूचना और नियमों पर काम कर रही हैं।
सभी नियोक्ताओं को सलाह दी जाती है कि वे Labour Law Compliance के लिए तैयारी शुरू कर दें।
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Sankhla Consultants भारत की अग्रणी लेबर लॉ कंसल्टेंसी फर्मों में से एक है जो New Labour Codes Implementation, Payroll Compliance, Statutory Register Maintenance, Contract Labour Compliance, और ESIC/EPFO जैसी सेवाएं प्रदान करती है।
हमारी टीम यह सुनिश्चित करती है कि आपकी कंपनी नए कोड्स के अनुरूप हो, जिससे आप भारी पेनल्टी और कानूनी जोखिम से बच सकें।

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नया लेबर कोड न केवल कार्य करने के ढांचे को बदलने जा रहा है, बल्कि कंपनियों के लिए अनुपालन को भी अधिक पारदर्शी और डिजिटल बना रहा है। यह आवश्यक है कि सभी कर्मचारी और नियोक्ता इन बदलावों को समझें और समय रहते अपनी प्रणाली को अपडेट करें।
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Are sreemaan ji kuch nahi lagoo hoga wage code Will bus yanha amiron ka paisa badta hain workers ka hahi Dhanyawad